Antibiotics- their overuse is very harmful. How to check it? एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल कम कैसे करें?

पिछले साल एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर दो बड़ी बातें हुईं. 

एक तो भारत की मेडिकल संस्था ICMR ने  एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक इस्तेमाल से होने वाले खतरों के बारे में एक रिपोर्ट जारी की. इस संस्था से जुड़ा एक रिसर्च संस्थान है जो बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों के बारे में अस्पतालों और लैब्स से जानकारी इकठ्ठा करके ये दवाएं किस तरह काम कर रही हैं इसपर बहुत अहम विश्लेषण करता है. 

चूंकि बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों को रोकने में एंटीबायोटिक दवाओं का बहुत इस्तेमाल होता है, इसलिए यह जानने के लिए कि एंटीबायोटिक्स कितनी कारगर हो रही हैं और कितना नुकसान पहुंचा रही हैं, इससे बड़ी और विश्वसनीय रिपोर्ट हो नहीं सकती.  

इस रिपोर्ट में कहा गया है की फेफड़े और सांस नली के इन्फेक्शन, कई तरह के बुखार और दस्त, न्यूमोनिया, घाव में मवाद भर जाना, खून के इन्फेक्शन, टाइफाइड और महिलाओं में मूत्र नली के इन्फेक्शन के उपचार के लिए जो पहले एंटीबायोटिक दिए जाते थे उनका प्रभाव घट रहा है. 

अब अगर वो एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं उनसे या तो मरीज़ ठीक नहीं होता या उसकी बीमारी लम्बी खिंच जाती है.  

ये एंटीबायोटिक दवाएं टाइफाइड और दस्त के जीवाणुों पर तो बहुत निष्प्रभावी पायी गयी हैं. पहले के एंटीबायोटिक कमज़ोर होने लगे हैं- इसका बड़ा कारण है कि लोग बेमतलब एंटीबायोटिक खाते रहते हैं.

एक रिपोर्ट अमेरिका से आई, जिसमें बताया गया कि अब अधिकतर अस्पताल और डॉक्टर सामान्य बीमारियों के लिए भी एंटीबायोटिक लिख देते हैं. बहुत से डॉक्टर तो दो एंटीबायोटिक एक साथ देने लगे हैं, क्योंकि एक एंटीबायोटिक काम नहीं करता. ऐसा करने से एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक इस्तेमाल से होने वाला खतरा दूना हो जाता है, मरीज के लिए भी और अन्य लोगों के लिए भी जब वो बीमार पड़ते हैं. 

एंटीबायोटिक दवाओं पर नीचे लिंक किये हुए विडियो में मैंने विस्तार से चर्चा की हैसाथ में एक्सपर्ट्स की राय भी साझा की है कि जब इन्फेक्शन हो जाए तो इन दवाओं का इस्तेमाल कम कैसे करें.  antibiotic misuse, and how to keep healthy without them 



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